आंतरराष्ट्रीय योग दिवस 2025:जानें उसका मतलब और महत्व

योग क्या है?

योग मतलब शरीर, मन, आत्मा को जोड़ के परमात्मा में लगाना । वास्तव में योग एक मनोविज्ञान है और एक जीवन जीने की कला है। योगविद्या का लक्ष्य है चित्त की वृत्तियों का नियंत्रण करके बिनज़रूरी ख़यालों को दूर कर के स्वयं के विकास में उपयोगी हो ऐसे विचारों को स्थापित करना। योग में आठ अंग समाविष्ट हैं इस लिए उसे ‘अष्टांग योग’ भी कहते हैं। अष्टांग योग प्रथम पाँच अंगों को बहिरंग योग कहते हैं, उसमें यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार आते हैं। बाकी तीन अंगों को अंतरंग योग कहते हैं उसमें धारणा, ध्यान और समाधि आते हैं।

योग का इतिहास

योग हजारों साल पुरानी कला है जो प्राचीन भारत ने विश्व को दी हुई अमूल्य भेंट है। इस विद्या के पहले योगी ‘आदियोगी’ यानी की भगवान शिव को कहते हैं। उसके बाद महर्षि पतंजलि ने इस योग का सुव्यवस्थित रूप दिया और योगाभ्यास को आगे बढ़ाया जो आज भी लोगों के काम आ रहा है।

योग का महत्व

योग कोई शास्त्र नहीं है लेकिन जीवन बदलने का विज्ञान है। योग तो शरीर और मन को समझने का विज्ञान है और जीवन का एक हिस्सा है। योग शारीरिक और मानसिक रूप से तंदुरस्त रखता है। योग के बहुत फायदे हैं जैसे की डिप्रेशन, तनाव, चिंता, बहुत ज़्यादा सोचना जैसी चीज़ों से हमें दूर रखता है। योग से शरीर का लचीलापन बढ़ता है, मन शांत होता है, फोकस बढ़ता है, याद शक्ति बढ़ती है और वर्क एफिशिएंसी बढ़ती है। पूरा दिन एनर्जी फील होती है और थकान नहीं होती।

योग

आधुनिक युग में योग का महत्व

योगविद्या की उत्पत्ति भारत में हुई। भारत पहले खेती प्रधान देश रहा है तब लोगों का शारीरिक श्रम उसमें हो जाता था।
भारत अभी प्रगति कर रहा है। भारत में कई सारे उद्योग स्थापित हुए साथ में कई सारे सर्विस सेक्टर भी चालू हुए। लोग अब बिज़नेस कर रहे या कोई जॉब कर रहा है; लेकिन ये सब एक फिक्स जगह (ऑफिस) पे हो रहा है। लोगों का काम बढ़ा, कंपनी का अनरियालिस्टिक गोल अचीव करने के लिए दिन रात मेहनत कर रहे लोगों में मानसिक तनाव बढ़ा, शारीरिक श्रम घटा। जॉब की वजह से लोगों में मानसिक प्रेशर बढ़ा, स्ट्रेस बढ़ा, व्यवहार बिगड़ गया और स्वभाव में चिड़ियापन आ गया। वर्तमान समय में वैज्ञानिक शोध के कारण लोगों की सुख-सुविधा बढ़ी है, लोग भौतिक वस्तुओं के पीछे दौड़ रहे हैं और उनकी शारीरिक और मानसिक बीमारी बढ़ी है।
आज इंफोर्मेशन का जमाना है। लोगों में आज जागरूकता आ गई है। धीरे-धीरे लोग योगाभ्यास का महत्व समझ रहे हैं और उसे एक धर्म के साथ न जोड़ कर सभी धर्म के लोगों ने अपनाया है और लोगों ने फायदा देखा है।

विदेशों में योग का बढ़ता चलन

योग भारत से बाहर निकलकर विदेशों में पहुँचा है। विदेशी लोगों ने योग को अपने जीवन का हिस्सा बनाया है और वहाँ पर योग क्लासिस भी शुरू हो चुके हैं। विदेशी लोग भारत में आकर योग सीखते हैं और अपने देशों में जाकर अपने लोगों को योग सिखा रहे हैं। भारत के कई सारे योग गुरु हैं जिन्होंने योग को पूरी दुनिया में पहुँचाया है जैसे की:
01. धीरेंद्र ब्रह्मचारी
02. बी. के. एस. अयंगर
03. के. पट्टाभि जोईस
04. स्वामी शिवानंद
05. तिरुमलाई कृष्णमाचार्य
06. परमहंस योगानंद
07. महर्षि महेश योगी
08. बाबा रामदेव
09. सदगुरु
10. श्री श्री रविशंकर

21st जून को ही योगा डे क्यों सेलिब्रेट किया जाता है ?

21st जून को उत्तरी गोलार्ध का सबसे लंबा दिन होता है, जिसे ग्रीष्म संक्रांति भी कहते हैं। उसके बाद सूर्य दक्षिणायन होता है जिससे सूर्य का तेज़ कम हो जाता है और वातावरण अशुद्ध हो जाता है, कई सारे कीटाणु की उत्पत्ति होती है, रोग प्रतिकारक शक्ति कम होती है। इसलिए तन मन को स्वस्थ रखने के लिए 21st जून को योगा डे मनाया जाता है। इसका श्रेय भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जाता है क्योंकि उन्होंने संयुक्त राष्ट्र में 11 दिसम्बर को “21st जून को योगा डे” सेलिब्रेट करने का प्रस्ताव रखा था जो संयुक्त राष्ट्र में लगभग सभी देशों ने प्रस्ताव पारित करने में वोट दिया था।

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